मोहम्मद रफी की संक्षिप्त जीवनी (Brief Biography of Mohammad Rafi)
मोहम्मद रफी का नाम भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उनकी अद्वितीय गायकी के लिए प्रसिद्ध है। मोहम्मद रफी का वर्ष 1980 में देहांत हो चुका है परंतु आज भी वह संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहे हैं। मोहम्मद रफी नहीं वर्ष 1944 से लेकर 40 वर्षों तक अपनी मृत्यु तक लगभग 25000 से ज्यादा गीत गाए हैं। उन्होंने मात्र हिंदी गाने ही नहीं बल्कि कोंकणी, आसामी, भोजपुरी, ओड़िया, बंगाली, गुजराती, तेलुगू, तमिल, अरेबिक, अंग्रेजी, डच्च आदि विदेशी भाषाओं में भी गाने गाए हैं। मात्र गीतों में ही नहीं बल्कि कव्वाली, गजल, भजन आदि में भी उनका योगदान है। मोहम्मद रफी जितनी ऊंची शख्सियत थे वह उतने ही सादगी के साथ रहना भी पसंद करते थे। वह बहुत ही शांत स्वभाव के व्यक्ति थे और हमेशा सबसे हंसकर खुशी के साथ मिला करते थे।
मोहम्मद रफी का जन्मदिन और उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि (Mohammad Rafi’s birthday and his family background)
मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को ब्रिटिश भारत के समय पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह क्षेत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम हाजी अली मोहम्मद था। इनका परिवार पंजाब राज्य के अमृतसर डिस्ट्रिक्ट के पास लगते गांव मजीठा से संबंधित है। मोहम्मद रफी अपने छह भाइयों में दूसरे नंबर पर आते हैं।इनकी माता का नाम अल्लाह रखी है। वह एक गृहणी महिला थी। इनकी दो बहने भी हैं।
मोहम्मद रफी की व्यक्तिगत जानकारी (Personal Information of Mohammad Rafi)
वास्तविक नाम | मोहम्मद रफी |
मोहम्मद रफी का उपनाम | फीको |
मोहम्मद रफी का जन्मदिन | 24 दिसंबर 1924 |
मोहम्मद रफी की आयु | 55 वर्ष |
मोहम्मद रफी की मृत्यु तिथि | 31 जुलाई 1980 |
मोहम्मद रफी का जन्म स्थान | ब्रिटिश भारत के समय पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह |
मोहम्मद रफी का मूल निवास स्थान | लाहौर पंजाब, ब्रिटिश इंडिया |
मोहम्मद रफी के घर का पता | रफी मेंशन, मुंबई – महाराष्ट्र भारत |
मोहम्मद रफी की राष्ट्रीयता | भारतीय |
मोहम्मद रफी की शैक्षणिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
मोहम्मद रफी के स्कूल का नाम | गांव कोटला सुल्तान सिंह का एक स्कूल ( नाम ज्ञात नहीं) |
मोहम्मद रफी का व्यवसाय | पार्श्व गायक |
मोहम्मद रफी की प्रति गीत आय | 190 करोड़ रुपए के लगभग |
मोहम्मद रफी की वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
मोहम्मद रफी के वैवाहिक तिथि | वर्ष 1943 (दूसरा विवाह) |
मोहम्मद रफी की शारीरिक संरचना (Physical structure of Mohammed Rafi)
मोहम्मद रफी की लंबाई | 5 फुट 7 इंच |
मोहम्मद रफी का वजन | 85 किलोग्राम |
मोहम्मद रफी का शारीरिक माप | छाती 42 इंच, कमर 36 इंच, बाइसेप्स 14 इंच |
मोहम्मद रफी की आंखों का रंग | काला |
मोहम्मद रफी के बालों का रंग | काला (अर्ध गंजापन) |
मोहम्मद रफी का परिवार (Mohammad Rafi’s family)
मोहम्मद रफी के पिता का नाम | हाजी अली मोहम्मद |
मोहम्मद रफी की माता का नाम | अल्लाह रखी |
मोहम्मद रफी के भाइयों का नाम | मोहम्मद शफी , मोहम्मद दीन, मोहम्मद इस्माइल, मोहम्मद इब्राहिम, मोहम्मद सिद्दीक |
मोहम्मद रफी की बहनों का नाम | चिराग बीवी और रेशमा बीवी |
मोहम्मद रफी की पत्नी का नाम | बशीरा बीबी ( पहली पत्नी) बिलकिस बानो ( दूसरी पत्नी) |
मोहम्मद रफी के बेटों का नाम | सईद ( पहली पत्नी से) खालिद, हामिद और शाहिद ( दूसरी पत्नी से) |
मोहम्मद रफी की बेटियों के नाम | परवीन , यासमीन और नसरीन ( दूसरी पत्नी से) |
मोहम्मद रफी का गायन के क्षेत्र में पदार्पण के पहले का समय (The time before Mohammad Rafi’s debut in the field of singing)
मोहम्मद रफी की आयु तब लगभग 7 वर्ष रही होगी जब उनका परिवार कामकाज के सिलसिले में लाहौर आ गया था। इनके बड़े भाई की एक दुकान थी और यह वही अक्सर अपना समय बिताया करते थे। इनके भाई के दुकान के पास से एक फकीर कुछ शब्द गाते हुए हर रोज गुजरता था और मोहम्मद रफी को उसकी आवाज और गाने का ढंग अपनी और मोहित कर लिया करती थी। मोहम्मद रफी भी उनके पीछे-पीछे काफी दूर तक निकल जाए करते थे। कहा जाता है कि मोहम्मद रफी को उस फकीर ने ही दुआ दी थी। जब इनके भाई ने देखा इनका रुझान संगीत की ओर है तो इनके भाई इन्हें संगीत की शिक्षा दिलाने के लिए उस्ताद अब्दुल वाहिद खान के पास ले गए।
उस समय एक बार कुंदन लाल सहगल लाहौर में ऑल इंडिया रेडियो की तरफ से एक प्रोग्राम करने के लिए आए थे परंतु अचानक से कार्यक्रम के दौरान ही बिजली चली गई काफी देर तक नहीं आई। तभी मोहम्मद रफी के भाई ने आयोजकों से आग्रह किया कि वह मोहम्मद रफी को तब तक जाने के लिए इजाजत दे दे। उस समय मोहम्मद रफी की आयु 13 वर्ष रही होगी जब उन्होंने सार्वजनिक तौर पर मंच पर गीत गाया था। आए हुए अतिथि श्यामसुंदर को मोहम्मद रफी की आवाज बहुत पसंद आई और उन्होंने मोहम्मद रफी को अपने लिए गाने का प्रस्ताव दिया। मोहम्मद ने पंडित जीवन लाल मट्टू और फ़िरोज़ निज़ामी से भी सगीत सीखा |
मोहम्मद रफी का गायकी में पदार्पण (Mohammad Rafi’s debut in singing)
मोहम्मद रफी ने वर्ष 1944 में पंजाबी फिल्म गुल बलोच में संगीत निर्देशक श्याम सुन्दर के निर्देशन में गीत गाकर पदार्पण किया। कुछ समय तक मोहम्मद रफी ने पंजाबी फिल्मों के लिए गीत गाए और वर्ष 1946 में उन्होंने मुंबई आने का फैसला किया। यहां आने के बाद उनको सबसे पहले संगीतकार नौशाद ने फिल्म पहले आप में गाने का अवसर प्रदान किया। अभी तक रहेगा तो रहे थे परंतु उनको कोई ख्याति प्राप्त नहीं हो पाई थी। वर्ष 1946 में आई फिल्म अनमोल घड़ी में जब उन्होंने नौशाद द्वारा निर्देशित गीत तेरा खिलौना टोटा गाया तो इससे उन्हें एक विशेष पहचान मिली।
इसके पश्चात वर्ष 1951 में आई फिल्म बैजू बावरा में भी नौशाद ने अपना संगीत दिया था। इस फिल्म में पहले वह अपने सभी गानों को तलत महमूद के द्वारा गवाना चाहते थे परंतु जब उन्होंने तलत महमूद को धूम्रपान करते देखा तो उन्होंने अपना विचार बदल दिया और अपने इस फिल्म के गाने मोहम्मद रफी से गवाए। क्योंकि यह फिल्म मुख्य था संगीत ड्रामा फिल्म थी और तानसेन तथा बैजू बावरा के जीवन पर आधारित थी। इसलिए इस फिल्म में संगीत के काम में नौशाद और मोहम्मद रफ़ी साहब ने खूब मेहनत की। इसका परिणाम यह निकला कि यह फिल्म, इस फिल्म का संगीत और सभी गीत , हिंदी गीतों की दुनिया में अमर हो गए।
राज कपूर अपने गीतों को केवल मुकेश की आवाज में ही रहते थे परंतु शंकर जयकिशन और मोहम्मद रफी की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर राज कपूर ने भी अपने गीतों में मोहम्मद रफी की आवाज को इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं किया। अब तक मोहम्मद रफी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लगभग सभी संगीतकारों रवि, मदन मोहन, गुलाम हैदर, जयदेव और सलिल चौधरी आदि की पहली पसंद बन चुकी थे।
मोहम्मद रफी उस दौर के लगभग सभी बड़े अभिनेताओं दिलीप कुमार, भारत भूषण, देवानंद, शम्मी कपूर, राजेंद्र कुमार, जॉय मुखर्जी, विश्वजीत, राजेश खन्ना और धर्मेंद्र के गीतों को अपनी आवाज दी। एक समय ऐसा आया कि जब शम्मी कपूर अपने गीत केवल मोहम्मद रफी की आवाज में ही रिकॉर्ड करवाया करते थे।
मोहम्मद रफ़ी के गीतों की सूची (List of Mohammed Rafi songs)
फिल्म का नाम | गीत के बोल | फिल्म का नाम | गीत के बोल |
तेरे घर के सामने | दिल का भंवर करे पुकार | सूरज | बहारों फूल बरसाओ |
लोफर | आज मौसम बड़ा बेईमान है | जीवन मृत्यु | झिलमिल सितारों का आंगन होगा |
कर्ज | दर्दे दिल दर्दे जिगर | हंसते ज़ख्म | तुम जो मिल गए हो |
अभिमान | तेरी बिंदिया रे | हम दोनों | अभी ना जाओ छोड़ कर |
हम किसी से कम नहीं | चांद मेरा दिल चांदनी हो तुम | जंगली | एहसान तेरा होगा मुझ पर |
तीसरी मंजिल | तुमने मुझे देखा होकर | आराधना | गुनगुना रहे हैं भंवरे |
मेरे महबूब | मेरे महबूब तुझे | यादों की बारात | चुरा लिया है तुमने जो दिल को |
ईस्टर बेल्ज़ | चौधवीं का चांद | आप आए बहार आई | मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा |
प्रिंस | बदन पे सितारे लपेटे हुए | कश्मीर की कली | यह चांद सा रोशन चेहरा |
मोहम्मद रफी के चंद अवॉर्ड्स और सम्मान (Few Awards and Honors of Mohammad Rafi)
वर्ष 1960 सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक फिल्म फेयर अवॉर्ड्स गीत चौधवीं का चांद हो
वर्ष 1961 सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक फिल्मफेयर अवॉर्ड्स गीत तेरी प्यारी प्यारी सूरत को
वर्ष 1964 सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक फिल्म फेयर अवार्ड गीत चाहूंगा मैं तुझे
वर्ष 1977 सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स गीत क्या हुआ तेरा वादा
वर्ष 1948 प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा सिल्वर मेडल
वर्ष 1967 भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार
वर्ष 2001 हीरो हौंडा स्टारडस्ट मैगजीन की ओर से बेस्ट सिंगर ऑफ द मिलेनियम अवार्ड
मोहम्मद रफी के विवाद (Mohammed Rafi controversy)
वर्ष 1960 के दशक में मोहम्मद रफी का लता मंगेशकर के साथ विवाद रॉयल्टी के भुगतान को लेकर हो गया। लता मंगेशकर चाहती थी कि मोहम्मद रफी उनका समर्थन करें परंतु मोहम्मद रफी ने रॉयल्टी लेने और लता मंगेशकर का समर्थन करने से साफ इंकार कर दिया।
वर्ष 1977 के दशक में मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर के गीतों को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करना था कि किसने सबसे ज्यादा गाने गाए। मोहम्मद रफी की मृत्यु के पश्चात वह ख़िताब लता मंगेशकर को दे दिया गया।
मोहम्मद रफी की कुल संपत्ति
190 करोड रुपए के लगभग
मोहम्मद रफी की मृत्यु का कारण
दिल का दौरा
मोहम्मद रफी की मृत्यु तिथि
30 जुलाई 1980
मोहम्मद रफी ने हज कब किया
वर्ष 1969